दक्षिण पूर्व एशिया के साथ भारत के समृद्ध ऐतिहासिक और सांस्कृतिक सम्बंधों ने शताब्दियों से चली आ रही साझी धरौहर की मर्यादा स्थापित की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, भारत "Look East Policy" से "Act East Policy" की ओर बदल गया है, जिसने ASEAN देशों के साथ उसकी संवाद को काफी बढ़ाया है। यह गतिशील परिवर्तन ने न सिर्फ कूटनीति और अर्थव्यवस्था में सहयोग बढ़ाया है, बल्कि क्षेत्र के भरोसे बने प्राचीन मंदिरों और धरोहर स्थलों के संरक्षण और पुनर्स्थापन में भी। प्रधानमंत्री मोदी के लाओस में 10-11 अक्टूबर, 2024 को दो दिनों के दौरे पर ASEAN-India Summit और East Asia Summit में भाग लेने के साथ ही भारत के विदेश मामला मंत्रालय (MEA) ने इन पहलों का उल्लेख किया। भारत की पुरातत्व सर्वेक्षण निदेशालय (ASI) ने दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के साथ प्राचीन मंदिरों की पुनर्स्थापना और संरक्षण में सक्रिय रूप से सहयोग किया है। यह पहल क्षेत्र की साझी सांस्कृतिक धरोहर को सहजता से पोषित करने के भारत के प्रतिबद्धता का परिचायक है। लाओस में वाट फ़ौ मंदिर: ASI ने यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में वाट फ़ौ मंदिर की पुनर्स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।