यह भारतीय पर्यटक बाजार में वृद्धि के लिए ये देशों द्वारा संवेदनशील प्रयासों को प्रतिबिंबित करता है।
भारत के सीमा पार करने में हाल ही में हुई बढ़ोतरी का अभिक्षमता का प्रतीक है, इसके साथ ही मलेशिया, थाईलैंड और श्रीलंका को जोड़ने की सूची में प्लस बनने के बाद वाणिज्यिक पर्यटन बाजार को जोड़ने की साझी प्रयास।

तीनों देशों की वीजा मुक्ति की घोषणाओं का विस्तार बड़े जियोपॉलिटिकल आइरादों और परिणामों के एक संरचित परिदृश्य के साथ हो रहा है।

मलेशिया ने 1 दिसंबर 2023 से भारतीय और चीनी नागरिकों के लिए 30 दिनों की वीजा मुक्त प्रवेश की घोषणा की है। इस फैसले का उद्देश्य पर्यटन को सुविधा प्रदान करना है और भारत को मलेशिया में पर्यटन आगंतों के शीर्ष स्रोतों में से एक के रूप में मान्यता देना।

2023 के पहले सहायता में मलेशिया में भारतीय पर्यटकों में वृद्धि दर्ज की गई। भारत और मलेशिया के बीच उपलब्ध अनेक उड़ानों की उपस्थिति इस सफर को आसान बनाती है।

श्रीलंका ने भारत और चीन को शामिल करके बीस अन्य देशों के आगंतुकों के लिए वीजा मुक्त प्रवेश पहल शुरू की है। यह पॉलिसी श्रीलंका की पर्यटन को बढ़ाने और इन देशों से अधिक आगंतुकों को आकर्षित करने की रणनीति का हिस्सा है। वीजा मुक्त प्रवेश पहल भारतीय दर्शकों की क्षमता का प्रख्यातीकरण है और भारत और श्रीलंका के बीच द्विपक्षीय संबंधों की मजबूत होने का प्रतीक है।

इसी तरह, थाईलैंड ने भारतीय और ताइवानी आगंतुकों के लिए वीजा की आवश्यकता को हटा दिया है। यह नीति भारतीय आगंतुकों को वीजा के बिना थाईलैंड यात्रा करने और 30 दिन तक ठहरने की अनुमति देती है। वीजा मुक्त पहुंच 10 नवंबर 2023 से 10 मई 2024 तक मान्य है। मलेशिया और श्रीलंका की तरह, थाईलैंड की भारतीय पर्यटकों के प्रति बढ़ते महत्व का प्रमाण है और देश के भारत संबंधों को मजबूत करने की इच्छा का प्रतीक है।

भारतीय राष्ट्रीयों के लिए मलेशिया, श्रीलंका और थाईलैंड जैसे देशों द्वारा वीजा मुक्ति के रूप में प्रदान की जाने वाली हाल की परिवर्तनों में साझा भारतीय नागरिकों के बाढ़ते वैश्विक महत्त्व और इसकी प्रभावी विदेशी नीति को दर्शाती है। इस बढ़ते सीमा सुविधा का यह चरण भारत के प्रमुख क्षेत्रीय साथियों के साथ और नये आर्थिक मार्गों को बनाने की भारतीय विदेश नीति के लक्ष्यों का परिणाम है। यह भारतीय नागरिकों की साथिकता के लिए सुविधा के कवच के साथ भारत की अंतर्राष्ट्रीय स्थिति का प्रतिनिधित्व करता है।

इसके अतिरिक्त, दक्षिण-पूर्व एशियाई क्षेत्र में अपने कूटनीतिक और आर्थिक पाद का विस्तार करने पर भारत का ध्यान सूचित करने के रूप में देखा जा सकता है, जो वैश्विक वातावरण में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में अपनी पहचान बनाने के लिए अपने आत्मनिर्भर आंतर्राष्ट्रीय सहयोग को विविध करोदी वातावरणों की अपनी आंतर्राष्ट्रीय मैत्रीभूमि के विपरीत उन्हे',
"travelogue": "सुविधाओं.