नए कूटनीतिक रुझानों का खुलासा और भारत की विश्व मंच पर बढ़ती भाषाई प्रभावशक्ति की उभरती पहचान
हाल ही में भारत के हृदयस्थान में आयोजित जी- 20 सम्मेलन के सांस्कृतिक व्यापार में एक अनपेक्षित मुद्दा सिर्फ राजनीतिक कूटनीति के बजाय भाषाई दूतावास की ताकतिक कूटनीति का था। अंतरराष्ट्रीय दूतावासी भारतीय भाषा हिंदी को अपनाने की बढ़ती यात्रा न केवल भारत की बढ़ती वैश्विक प्रभाव की प्रतिष्ठा की प्रशंसा है, बल्कि दुनिया के विश्वीकरणीय सांस्कृतिक मंच पर एक अधिक समावेशी वैश्विक सांस्कृतिक मंच की ओर जाने की प्रतिबिंब भी है।
इस भाषाई लहर के स्वरों के मुख्यालय में, ऑस्ट्रेलियाई उच्चायुक्त फिलिप ग्रीन ने मेरे पसंदीदा हिंदी मुहावरे का उद्धरण करने वाले ऑस्ट्रेलियाई दूतावासियों के साथ एक दिलचस्प वीडियो पोस्ट साझा की। इसका मकसद 14 सितंबर, 2023 को हिंदी को एक भारतीय आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकृति के समर्पण के रूप में मनाने वाले "हिन्दी दिवस" की धूमधाम से एक उत्सव का है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस प्रकार की चेतना का ज्ञापन किया, जिसमें उन्होंने ऑस्ट्रेलियाई दूतावासियों के लिए हिंदी के "बहुत रोचक" स्नेह की महत्त्वपूर्ण मान्यता को संजा किया।
हालांकि, यह ऑस्ट्रेलियाई प्रयास केवल एक बड़े वैश्विक रुझान का एक पहलु था। जी- 20 सम्मेलन के दौरान प्रकाशमान बुद्धिमता के लिए अमेरिकी राज्य विभाग की अधिकारी मार्गरेट मैकलीओड को भी केंद्र में रखा गया। मैकलीओड, न केवल अपनी कूटनीतिक निपुणता के लिए, बल्कि अपनी आदर्श हिंदी व्याख्यानों के लिए भी प्रमुखता में शो करती रहती हैं। इस प्रयास को मैकलीओड ने केवल प्रतीकात्मक नहीं बनाया था; यह भाषा की मृदुता की प्रतिष्ठा है, जो गहरी संबंधों को बनाने में सहायता करती है।
सामाजिक संचार मंच, वर्तमान में जनता की भावनाओं का मापदंड, मैकलीओड की क्षमता का जल्दी से स्वागत करने के लिए विचित्र थे। विभिन्न नेटीज़न ने अपनी मनोरंजकता और प्रशंसा प्रकट की। कई लोग चकित हो गए थे, जिन्होंने कुछ हास्यास्पद टिप्पणियाँ की, हिन्दी शब्दों के विदेशी तालीवाली व्यंजन के साथ बोले जाने पर। यह हमें याद दिलाता है कि हम एक वैश्विक गांव में वास कर रहे हैं, जहां सीमाएँ, कम से कम भाषाई तौर पर, बड़ती ही हैं।
मैकलीओड के बैकग्राउंड में उसके भारतीय संबंधों के बारे में एक स्पष्ट चित्र देता है। उसके जीवनी में उल्लेख किया गया है कि उसका कार्यकाल भारत के प्रतिनिधियों में कराए जा रहे असाइनमेंट को शामिल करता है। दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में अध्ययन करने और कोलंबिया विश्वविद्यालय और जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों से गरिमामय पुरस्कारों के साथ उसकी शैक्षिक यात्रा, उसकी भाषाई मित्रता को अधिक संदर्भपूर्ण बनाती है।
यद्यपि इन उदाहरणों का खुद नामूमकदा महत्त्व है, वे अद्वितीय नहीं हैं। जापान, जर्मनी और ब्राजील जैसे देशों के विदेश मंत्रियों और वरिष्ठ दूतों की हिंदी भाषा में बोलने की कोशिशें या भारत में या संयुक्त प्रेस बातचीतों में नोटवर्थी चिह्नों का होना भी आए हैं। ऐसे प्रयासों को पहले सिर्फ अंग्रेज़ी या फ्रेंच जैसी मुख्य वैश्विक भाषाओं में देखा जाता था, जो कि दूतावासों को अक्सर नुकताचीन बनाने के लिए परस्पर संबंधों की बदलती गतिविधियों की पुष्टि करते हैं। वे भारत के स्वरूप की मान्यता करते हैं, जो दुनिया स्तर पर मान्यता करते हैं और देश की प्राचीन परंपराओं के अपने उभरते वैश्विक दृष्टिकोण के साथ विचरण की पुष्टि करते हैं।
प्रमुख उद्योग के अलावा, जी- 20 सम्मेलन ने इसी प्रतिक्रिया को परामर्शदाता ने काम में भरे दिखाया है। प्रधानमंत्री मोदी, विभिन्न बातचीतों में इस घटना को एक मात्र राजनीतिक समारोह होने के नज़रिए से ही नहीं बल्कि भारत के बढ़ते बौद्धिक उम्र को प्रतिबिंबित करने वाले प्लेटफॉर्म के रूप में