भारत की अंतरिक्ष में उम्मीदें बढ़ती हैं जब भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन परियोजना के साथ-साथ एक मूल मॉडल का अवकाश वर्ष 2028 तक बनाया जाने की उम्मीद है।
भारत अंतरिक्ष अभियान अपने संकल्प से ऊंचाई छू रहा है जबकि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अगले साल अपने महत्वपूर्ण 'भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन' परियोजना, 'भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन', के लिए पहले प्रयोगों की तैयारी में जुट रहा है। यह पहल, भारत को वैश्विक अंतरिक्ष समुदाय में महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनाने के राह पर का बड़ा मार्गदर्शक है। बुधवार को फरीदाबाद में भारतीय अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव के दौरान बोलते हुए, इसरो के प्रमुख एस. सोमनाथ ने बताया कि अंतरिक्ष स्टेशन का प्राथमिक संस्करण 2028 तक सक्रिय होने की उम्मीद है, जबकि अंतिम संरचना 2035 तक स्थापित होने की उम्मीद है। यह अम्बितियस लक्ष्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पिछले साल स्थापित किए गए थे, जिनमें भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन की स्थापना के साथ-साथ, 2040 तक पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री को चंद्रमा पर भेजने का लक्ष्य भी था। भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन मल्टी-मॉड्यूल स्पेस स्टेशन के रूप में होगा, जिसमें कुर्सी कमांड मॉड्यूल, आवास मउड्यूल, प्रेरणा मॉड्यूल और डॉकिंग पोर्ट्स शामिल होंगे। आरंभिक अनुमान के अनुसार इसका वजन 25 टन के करीब होगा, जिसे विस्तार के साथ अधिक होने की संभावना है। इस अभियान के एक अहम हिस्सा के रूप में इसरो वैज्ञानिकों ने बताया है कि इस स्टेशन से माइक्रो-ग्रेविटी अध्ययनों, अंतरिक्ष जीवविज्ञान और चिकित्सा अनुसंधान के साथ-साथ, यह भारत की इंटरप्लेनेटरी मिशनों के लिए एक द्वार भी बनेगा। भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन परियोजना भारत के अंतरिक्ष अन्वेषण में बढ़ती महत्वता को प्रतिबिंबित करती है। चंद्रयान-3 और आदित्य-एल1 जैसी मिशनों की सफलताओं के बाद, भारतीय सरकार इसरो के लिए नए, उम्मीदमय लक्ष्यों को स्थापित करने के इच्छुक है। इन प्रयासों का हिस्सा के रूप में, अंतरिक्ष विभाग को भविष्य की चंद्रमा अन्वेषण मिशनों, आगामी चंद्रयान मिशनों और अगली पीढ़ी के लॉन्च वाहन (नेक्स्ट जनरेशन लॉन्च वाहन) के विकास के लिए एक रोडमैप तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं। इतिहास में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन, संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, जापान, यूरोप और कैनडा की सहभागिता वाली एक परस्पर सहमत परियोजना के रूप में, अब भी चरमार्थ यात्रा पर है। 1984 से 1993 तक लॉन्च किए जाने के बाद, अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन अंतरिक्ष अनुसंधान और अन्वेषण में महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों को प्रतिष्ठित करता है। भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन, अपने राष्ट्रीय परियोजना होते हुए, सहयोगी अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय मंच बनने की उम्मीद है। एक निर्धारित समिति पहले से ही अंतरिक्ष स्टेशन डिज़ाइन की प्रगति की निगरानी कर रही है, जो भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। जबकि भारत अगले साल इन ऐतिहासिक परीक्षणों की तैयारी करता है, वैश्विक समुदाय में रुचि के साथ नजर जुदी है। भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन के सफल विकास और लॉन्च को भारत के अंतरिक्ष यात्रा में एक नया अध्याय बता रहा है जो अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ाकर अंतरिक्ष अनुसंधान और अध्ययन में मदद करेगा।