इस डिजिटल क्रांति के पीछे भारत सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक के संयुक्त प्रयास हैं।
डिजिटल भुगतान में, यूपीआई (Unified Payments Interface) के माध्यम से भारत में एक ऐतिहासिक परिवर्तन का सदाबहार नजरिया देखने को मिला है। 11 दिसंबर, 2023 तक, यूपीआई ने वर्तमान वित्तीय वर्ष में चौंकाने वाले 8,572 करोड़ सौदों को दर्ज किया है, जो यूपीआई को भारत के डिजिटल भुगतान संचार परिदृश्य में अग्रणी भूमिका में रखने की स्पष्ट प्रमाणित करता है, जिससे वर्ष 2022-23 में 62% बाजार आपूर्ति को आलोचना की जा रही है। यूपीआई सौदों में इस उतार-चढ़ाव का स्पष्ट संकेत है कि देश एक डिजिटलीकृत अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रहा है।

यूपीआई की गति का वैध्रूत्रंकीय वृद्धि न केवल चौंकाने वाली है बल्कि यहां के प्रारंभिक आंकड़े द्वितीय वित्तीय वर्ष (FY) 2017-18 में 92 करोड़ सोचे व्यवहारों के विपरीत हैं। इस प्रारंभिक आंकड़े को, यद्यपि उस समय के लिए महत्वपूर्ण है, यूपीआई की संभावना की सिर्फ एक झलक मात्र थी। अगले पांच वर्षों में, इन संचारों में असाधारण वृद्धि देखी गई, जो वित्तीय वर्ष 2022-23 तक 8,375 करोड़ सौदों तक पहुँची।

इस तेजी से बढ़ने कीदारी को 147% की वार्षिक सरणीय वृद्धि दर (CAGR) प्रतिष्ठा नहीं सिर्फ वृद्धि की बल्कि उपभोक्ता व्यवहार और प्रौद्योगिकी अपनाने के लिए भूकम्पीय परिवर्तन की पुष्टि करती है।

इस वृद्धि की अद्भुतता का निरूपण यूपीआई सौदों की धनात्मक मूल्य में है। FY 2017-18 में, यूपीआई सौदों का कुल मूल्य 1 लाख करोड़ रुपये था, उस समय की नयी प्रौद्योगिकी के लिए एक महत्वपूर्ण आंकड़ा। हालांकि, FY 2022-23 तक यह मूल्य भयानक रूप से 139 लाख करोड़ रुपये पर पहुँच गया। मूल्य मानों में 168% की CAGR संख्यात्मक संख्या से और भी प्रभावशाली है, जिससे पता चलता है कि UPI न केवल अधिक आवृत्ति से उपयोग किया जा रहा है, बल्कि उच्च मूल्य वाले सोचे जा रहे हैं और अनुप्रयोगी।

इस डिजिटल क्रांति के पीछे भारत सरकार और भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के संयुक्त प्रयास हैं। सरकारी पहलों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिसमें रूपय डेबिट कार्ड और भीम यूपीआई सौदों के लिए प्रोत्साहन योजनाएं, भुगतान ढांचे में सुधार के लिए सलाहकार, प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान (पीएमजीडीआईएचए) और बैंकों के लिए डिजिटल संचार और व्यापारी प्राप्तियों के लिए लक्ष्य सेट करना शामिल हैं।

RBI ने इस प्रयासों को ई-बैंकिंग जागरूकता और प्रशिक्षण (ई-बाट), डिजिटल भुगतान जागरूकता सप्ताह की तरह जागृति कार्यक्रम जैसे अवधारणा कार्यक्रमों के साथ यहां तक कि मल्टीमीडिया अभियान 'RBI कहता है' या 'RBI Says', जो जागरूकता के प्रति एक यांत्रिक दृष्टिकोण लेते हैं, जिनका उद्देश्य लोगों को जागरूकता और समाज के हर तरह के पदाधिकारियों को योग्यता और आत्मविश्वास प्रदान करना है। RBI के इस बहुपक्षीय दृष्टिकोण डिजिटल आविष्कारों को जोड़कर डिजिटल भुगतानों के आंकड़ों और संचालनाओं को बढ़ाने के लिए है। इस क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण नवाचार तथा अनुमतिपूर्ण चीज है RBI की मंजूरी से रूपय क्रेडिट कार्ड को UPI से जोड़ने की। यह कदम ग्राहक सुविधा को बढ़ाकर, कार्ड रहित लेन-देन को संभव बनाता है और QR कोड से लैस छोटे विक्रेता दुकानों में भी क्रेडिट कार्ड स्वीकार की उपयोगिता को बढ़ाता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भारतीय डिजिटल क्रांति को आगे बढ़ाने के प्रति समर्पण खासकर दिख रहा है, जो देश ने अपनी डिजिटल प्रौद्योगिकी क्षमताओं को अपनाने और विकसित करने में काफी प्रगति की प्रतिष्ठित दिखाने का प्रमुख उदाहरण है। उनके वक्तव्य और पहलों का मकसद भारत को एक डिजिटल प्रगतिमान समाज और ज्ञान अर्थव्यवस्था में बदलने की ओर अग्रसर होने के लिए